NILAVANTI

 

                          NILAVANTI

        I recently read about Nilavanti { Neelavanti } book just a description of it. Says it was a rare book not printed just written on a metal plate that too lost these days.It had recipes for alchemy, medicines for terminal diseases, and ways to interpret the language of birds, animals and other interesting stuff such as walking on water and air, gold harvesting,But Nothing much was available just these descriptions. Is it just rumor or really a book of tantra or magic? Had Swami Vivekanada read this book?


     
दोस्तो यह बहुत समय पहले की बात है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव मे एक आदमी था उसकी एक पत्नी और एक छोटी सी बच्ची थी। जब वह बच्ची पाँच वर्ष की हुई तो उसकी माँ की मृत्यु हो गई। इस बच्ची का नाम निलावंती था।

निलावंती की माँ की मृत्यु के पश्चात निलावंती के पिता ने उस गाँव को छोड दिया और निलावंती को लेकर दूसरे गाँव मे चले गये। दोस्तो निलावंती के पिता जी को आर्युवेद का अच्छा खासा ज्ञान था।

निलावंती भी अपने पिता से आर्युवेद का ज्ञान लेती थी। निलावंती के अंदर एक खासियत थी कि वह पेड पौधो, जानवरों, पशु पक्षियों सब की भाषा समझती थी।

यही नही निलावंती के स्वप्न मे शैतान भी आते थे और निलावंती को जमीन के नीचे गडे हुये धन दौलत के बारे मे जानकारी देते थे लेकिन निलावंती के अंदर उसके पिता जी के अच्छे संस्कार थे इसीलिये वह सबकुछ जानते हुये भी धन दौलत जमीन के नीचे से खोदकर नही निकालती थी।

निलावंती को पेड पौधे और शैतान जो भी मंत्र बताते थे वह पीपल के पत्ते से बनी किताब पर लिख लेती थी।  जब निलावंती 20 से 22 वर्ष की हो गई तब जो भूतप्रेत निलावंती के स्वप्न मे आते थे वो हकीकत मे सामने आने लगे।

कुछ समय बाद निलावंती को पता चलता है कि कि वो एक श्रापित यक्षिणी है जो कि एक श्राप की वजह से इस दुनिया से बाहर नही निकल पा रही है उसे अपनी दुनिया मे जाना था। यह सब बात वह अपने पिताजी को बताती है।

तब उसके पिता जी उससे कहते है कि बेटी यदि तू इस दुनिया की नही है और किसी श्राप के कारण तू इस दुनिया मे फसी हुई है तो मै तुझे नही रोकूंगा अतः तू स्वेच्छा से यहाँ से जा सकती है। फिर निलावंती उस गाँव को छोडकर जाने लगी कि रास्ते मे उसे एक व्यापारी मिलता है अतः निलावंती उस व्यापारी से दूसरे गाँव मे जाने के लिये कहती है क्योंकि निलावंती को एक अच्छी आत्मा ने बताया था कि यहाँ से 35 मील की दूरी पर तुम्हें एक गाँव मिलेगा और उस गाँव मे तुम्हें एक बरगद का पेड मिलेगा।

वही से तुम्हे अपनी दुनिया मे जाने का रास्ता मिलेगा इसके अलावा तुम्हे अपने रक्त के साथ-साथ पशु पक्षियों की भी बली देनी होगी। इसी को ध्यान मे रखते हुये वह निलावंती उस व्यापारी से उस गाँव मे चलने के लिये कहती है।

वह व्यापारी निलावंती को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है और कहता है कि मै तुम्हें उस गाँव मे छोड दूँगा लेकिन बदले मे तुम्हे मुझसे शादी करनी पडेगी।

निलावंती ने व्यापारी के सामने मुसकराते हुये कहा कि ठीक है मुझे मंजूर है लेकिन मेरी एक शर्त है कि रात के समय मै तुम्हारे साथ नही रहूँगी मै कहा जाती हूँ क्या करती हूँ इसके बारे मे तुम मुझसे कुछ नही पूछोगे।

व्यापारी ने कहा कि ठीक है मुझे मंजूर है। उसके बाद वह व्यापारी निलावंती को अपने बैलगाड़ी मे बिठाकर उस गाँव मे ले गया।

फिर शर्त के अनुसार निलावंती ने उस व्यपारी से विवाह कर लिया। रात के समय निलावंती प्रतिदिन बरगद के पेड के नीचे तंत्रमंत्र करने के लिये चली जाती थी वहाँ पर वो अपना रक्त और पशु पक्षियों की बली भी चढाती थी।

एक दिन रात के समय जब निलावंती तंत्रमंत्र उस बरगद के पेड के नीचे कर रही थी उसी समय उस गाँव के कुछ लोग निलावंती को पशु पक्षियों की बली देते हुये देख लेते है और उस व्यापारी को जाकर सारी घटना की जानकारी देते है।

जब अगली रात को निलावंती अपने समय के अनुसार रात मे तंत्रसाधना के लिये निकलती है तो उसके पीछे-पीछे वह व्यापारी भी चला जाता है और निलावंती को तंत्रसाधना करते हुये देख लेता है।

अगले दिन निलावंती के स्वप्न मे शैतान आता है और उससे बताता है कि निलावंती कल जब तुम तंत्रसाधना के लिये बरगद के पेड के नीचे जाओगी उसी समय बरगद के पेड के बगल से जो नदी बहती है उस नदी मे तुम्हें एक लाश बहती हुई दिखाई देगी उस लाश के गले मे एक ताबीज होगा तुम्हें उसे खोल लेना है गले से ताबीज को निकालने के बाद उसी नदी मे तुम्हे एक नाव पर सवार आदमी मिलेगा तुम्हें इस ताबीज को उस आदमी को दे देना है वह तुम्हें दूसरी दुनिया के दरवाजे तक पहुचाने मे तुम्हारी मदद करेगा। उस शैतान ने निलावंती से यह भी कहा कि तुम्हे अपनी दुनिया मे वापस लौटने का सिर्फ यही एक ही चांस मिलेगा दोबारा चांस तुम्हें नही मिलेगा।

अगले दिन निलावंती बहुत खुश हुई और रात के समय बरगद के पेड के नीचे चली गई। वह तंत्र साधना करके अपनी रक्त की तथा पशु पक्षी की बली दे ही रही थी कि उसे नदी के किनारे एक लाश बहती हुई दिखाई देती है।

निलावंती उस लाश के पास जाती है और उसके गले मे बधे हुये ताबीज को निकालने की कोशिश करती है। उसी समय वहाँ पर वह व्यापारी भी गया जो अपने असली शैतानी रूप मे गया था।

वह ताबीज की पहली गाँठ खोल पाई थी दूसरा खोलने ही वाली थी कि गाँव वाले वहाँ गये और निलावंती को नरभक्षी समझकर कहने लगे कि ये दोनो शैतान है ये दोनो तो सभी गाँव वालो को मार डालेंगे अतः इन दोनो को मार डालो।

सभी गाँव वालो ने अपने-अपने हथियार लेकर दोनो को दौडा लिया निलावंती तो बच गई लेकिन गाँव वालो ने उस राक्षस को मार गिराया। राक्षस होने की वजह से वह दोबारा जीवित हो उडा और निलावंती के पास आकर बोला कि तुम मुझे ये किताब दे दो जिसमे तुमने मंत्रो को लिखा है और मुझे कुछ नही चाहिये।

तब निलावंती ने सोचा कि यदि यह किताब इस शैतान को मिल गया तो यह दुनिया के लिये अनर्थ साबित हो सकता है अतः निलावंती ने उस किताब को श्रापित करते हुये कहा कि

जिसने लालच मे आकर इस किताब को पूरा पढ लिया उसकी तुरंत मृत्यु हो जायेगी और जिसने इस किताब को आधा पढकर बीच मे ही छोड दिया वह पागल हो जायेगा। यह कहकर निलावंती उस किताब को लेकर भाग गई।

उसके बाद निलावंती का आज तक पता नही चला कि वह कहा गई। कुछ समय पश्चात वह किताब एक साधू को मिलती है उस साधू के मन मे किसी भी तरह का कोई लालच नही था।

                                      

           Several years ago a young girl named Neela came in contact with a very learned sage called Haibati baba. The girl’s innocence made Haibati baba teach her various things among which was the art of understanding language of animal world including birds.

The girl grew up to a wonderful housewife who wrote this book down in Marathi in the form of poetry. Pretty much like Bahinaabai.

The book obviously is rare and many people spread rumours about it claiming it banned and people go mad after reading it. The mystery around the book made many crooks publish fake material and sell it as authentic Nilavanti book. The book in fact is nothing to be scared of or has not ill effects on anyone.

Many people forget that a a mantra is just normal sound and unless it is “siddha” mantra it can not impact anything. Thus a child reading some mantra will not affect anything. For mantras to be useful one needs to invest time in learning it and chanting it thousands of times under the guidance of a Guru. Only then the Mantra is able to attract the divine powers to bend the forces of nature. It is not a fast food where you could just read some letters and expect the unexpected .

“Nature, body, mind, go to death, not we. We neither go nor come. The man Vivekananda is in nature, is born and dies; but the Self (soul) we see as Vivekananda is never born and never dies. It is the eternal and unchangeable Reality.”
– Swami Vivekananda 

Thank you for read

Best wishes from

 Suvendu & Mamata Singha (India , Odisha)

 

 

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